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उत्तर प्रदेश : स्टांप शुल्क में ढाई से दस गुना वृद्धि की तैयारी

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उत्तर प्रदेश : स्टांप शुल्क में ढाई से दस गुना वृद्धि की तैयारी प्रदेश में दो दशक से एक ही दर पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क में वृद्धि की तैयारी है। दत्तक ग्रहण, शपथ पत्र, समझौता पत्र, लीज, लाइसेंस, न्यास समाप्ति आदि पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क में ढाई से 10 गुना तक वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा स्टांप शुल्क के दायरे से बाहर लाभ वाले कई नए कार्य इसके दायरे में लाए जाएंगे। इससे सरकार को प्रति वर्ष 400 से 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त आय होने का अनुमान है। शासन के वरिष्ठ अधिकारी ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि प्रदेश सरकार को अपने क्षेत्र के विभिन्न तरह के लिखा-पढ़ी वाले प्रपत्रों (विलेख) पर स्टांप शुल्क की दर तय करने का अधिकार है। प्रदेश में 2001 से अब तक इसमें कोई संशोधन नहीं किया गया है। जबकि, कई राज्य इन 20 वर्षों में कई-कई बार विभिन्न तरह के विलेखों पर स्टांप शुल्क में बदलाव कर चुके हैं। यहां लंबे समय से स्टांप शुल्क की समीक्षा न होने से कई विलेखों पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क अनौचित्यपूर्ण व खर्च उससे अधिक हो गए हैं। मसलन, 10 रुपये के सामान्य स्टांप पत्र पर 27 रुपये का खर्च आता है। स्ट

मृतक किराएदार के परिजनों से घर खाली नहीं करा सकते मकान मालिक : सुप्रीम कोर्ट

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मृतक किराएदार के परिजनों से घर खाली नहीं करा सकते मकान मालिक : सुप्रीम कोर्ट किराएदारों को राहत देने वाले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मृतक किराएदार के परिजनों से मकान खाली नहीं करवाया जा सकता। किराएदार के मरने के बाद उसके परिजन मकान में रह सकते हैं। उनका किराए की संपत्ति में रहना सब्लेटिंग (किराएदार द्वारा संपत्ति को किसी अन्य को किराए पर चढ़ा देना) नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें किराएदार के परिजनों को उप किराएदार मानकर यूपी शहरी भवन (किराएदारी, किराया और खाली करने के विनियमन) एक्ट, 1972 की धारा 16(1)(बी) के तहत मकान को खाली घोषित कर दिया था। जस्टिस नवीन सिन्हा और बीआर गवई की पीठ ने मामले में हाईकोर्ट को भी आड़े हाथ लिया और कहा कि किराया नियंत्रक के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट को अनुच्छेद 227 के तहत अपील नहीं सुननी चाहिए थी। इस अनुच्छेद के तहत हाईकोर्ट अपीलीय कोर्ट का क्षेत्राधिकार ग्रहण नहीं कर सकता। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने देहरादून जिला जज के बेहद तार्किक और संतुलित आदेश के खिलाफ अनुच्छेद 227

राहत...एक साल की नौकरी में ही ग्रेच्युटी का लाभ देने की तैयारी

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राहत...एक साल की नौकरी में ही ग्रेच्युटी का लाभ देने की तैयारी केंद्र सरकार कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए ग्रेच्युटी नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। इसके तहत ग्रेच्युटी की न्यूनतम अवधि पांच साल से घटाकर एक साल किया जा सकता है। मसलन, अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में एक साल लगातार काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी निकासी का हकदार बन जाएगा। अभी ग्रेच्युटी का लाभ पाने के लिए एक ही कंपनी में कम से कम पांच साल काम करना जरूरी होता है। पीएफ की तरह ट्रांसफर करा सकेंगे   सरकार की मंशा ग्रेच्युटी पर भी ट्रांसफर सुविधा देने की है। कर्मचारी नौकरी बदलता है, तो ग्रेच्युटी की जमा रकम भी नई कंपनी में ट्रांसफर करा सकता है। क्या है ग्रेच्युटी का गणित   कर्मचारी ने एक ही कंपनी में 20 साल काम किया और उसका अंतिम वेतन 60 हजार रुपये है। इस वेतन को 26 से भाग दिया जाता है, क्योंकि ग्रेच्युटी के लिए 26 कार्यदिवस माना जाता है। इससे 2,307 रुपये की रकम निकलेगी। अब नौकरी के कुल वर्ष को 15 से गुणा करते हैं, क्योंकि एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी की गणना होती है। यह अवधि आएग

2019-20 के लिए 8.1% हो सकता है ईपीएफ पर ब्याज, करोड़ों कर्मचारियों पर पड़ेगा असर

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EPF पर घट सकता है ब्याज, FY 2020 के लिए सिर्फ 8.1% इंटरेस्ट दे सकता है EPFO 2019-20 के लिए 8.1% हो सकता है ईपीएफ पर ब्याज,  करोड़ों कर्मचारियों पर पड़ेगा असर कोरोनावायरस (Covid-19) संक्रमण और लॉकडाउन का असर अब आपकी PF की बचत पर भी पड़ने वाला है।  सूत्रों के मुताबिक, एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) पर मिलने वाले इंटरेस्ट रेट फिस्कल ईयर 2020 में घटकर  8.1 फीसदी कर सकता है। इससे पहले मार्च में EPF पर 8.5 फीसदी ब्याज देना तय किया गया था। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में प्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑफिस (EPFO) जल्द ही लेबर मिनिस्ट्री की अध्यक्षता में बैठक करने वाला है। सूत्रों ने बताया, "बाजार में उतारचढ़ाव और इनवेस्टमेंट बेचने में दिक्कत की वजह से EPFO ब्याज घटाने पर विचार कर रहा है। साथ ही Covid-19 की वजह से कर्मचारियों का कॉन्ट्रिब्यूशन घटने और पैसा ज्यादा निकालने से EPFO पर दबाव बढ़ा है।" इस साल मार्च के पहले हफ्ते में EPFO ने प्रोविडेंट फंड (PF) पर 8.5 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया था। हालांकि तब उसे फाइनेंस मिनिस्ट्री की मंजूरी नहीं मिली थी।   from shasnadesh

आईसीडीएस निदेशालय में वर्षों से जमे बाबू व अधिकारी हटाए जाएंगे

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आईसीडीएस निदेशालय में वर्षों से जमे बाबू व अधिकारी हटाए जाएंगे ● तैयार हो रही सूची, 10 साल से ज्यादा समय से हैं तैनात तबादले की जद में ● दो दर्जन प्रधान व कनिष्ठ सहायकों समेत कई डीपीओ व सीडीपीओ लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) निदेशालय में संबंध कर्मियों को हटाने के बाद अब वर्षों से जमे बाबुओं और अधिकारियों को भी हटाने की तैयारी है। दस साल से ज्यादा समय से निदेशालय में तैनात ऐसे बाबुओं और अधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है। सूची जल्द ही शासन को भेजी जाएगी। इसकी जद में करीब दो दर्जन प्रधान व कनिष्ठ सहायकों समेत कई डीपीओ व सीडीपीओ आएंगे।  निदेशालय में तमाम प्रधान व कनिष्ठ सहायकों के अलावा करीब आधा दर्जन जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीएपी) और एक दर्जन से अधिक सीडीपीओ ऐसे हैं जो 1995 से तैनात हैं। कई लिपिक तो 15 से 20 सालों से निदेशालय में ही तैनात हैं। कई निवेशकों ने इन्हें हटाने का प्रयास भी किया, लेकिन बाबुओं के कॉकस के आगे उनकी एक न चली।  निदेशक डॉ. सारिका मोहन ने शासन के निर्देश पर कई कर्मचारियों का संबद्धीकरण खत्म कर जिलों में भेजा है। अब बाबुओं व अधिकारि

तीन साल रिटर्न फाइल नहीं तो 20% टीडीएस, बैंक ही टीडीएस काटकर जमा कर देगा

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तीन साल रिटर्न फाइल नहीं तो 20% टीडीएस, बैंक ही टीडीएस काटकर जमा कर देगा अगर आप रिटर्न फाइल नहीं करते और बैंकों से नकदी निकासी लाखों में करते हैं तो अलर्ट हो जाइए। इस तरह का नकदी लेनदेन करने वालों का 20 फीसदी टीडीएस कटेगा। यह राशि वापस भी नहीं होगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने भारी भरकम नकदी लेनदेन करने वालों को आयकर के दायरे में लाने के लिए यह घोषणा की है।  गत दिवस सीबीडीटी ने एक जुलाई से इस व्यवस्था को क्रियान्वित कर दिया। सीबीडीटी ने आयकर में कई और घोषणाएं भी की। सीबीडीटी की नई घोषणा पर केंद्र सरकार के वित्त सलाहकार डॉ. पवन जायसवाल ने कहा कि तीन साल से जिनका रिटर्न फाइल नहीं हुआ और उनके पास पैन नंबर भी नहीं है। ऐसे लोग बैंकों से एक साल में 20 लाख से एक करोड़ तक लेनदेन करते हैं तो 20 प्रतिशत की टीडीएस कटौती शुरू हो जाएगी। 20 फीसदी टीडीएस की राशि 20 लाख से अधिक लेनदेन होते ही कटने लगेगी।  डॉ जायसवाल ने कहा कि तीन साल का रिटर्न फाइल करने वालों से (20 लाख से एक करोड़ की निकासी) पर दो फीसदी टीडीएस कटेगा जो वापस होगा। एक करोड़ से अधिक की राशि पर पांच फीसदी

अब 31 जुलाई तक दाखिल करें 2018-19 का आयकर रिटर्न, आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की अवधि को अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाया गया

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अब 31 जुलाई तक दाखिल करें 2018-19 का आयकर रिटर्न  आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की अवधि को अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाया गया नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख एक महीने आगे बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी है। साथ ही आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की अवधि को अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाया है।  वित्त वर्ष 2019-20 का रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख पहले ही 30 नवंबर तक बढ़ाई जा चुकी है। from shasnadesh.com शासनादेश डॉट कॉम | Government Orders | GO | Circulars https://ift.tt/2Cz6Mtr via IFTTT