सरकारी नौकरी में चयन मेरिट के आधार पर हो : सुप्रीम कोर्ट, कहा- कम मेरिट वालों की नियुक्ति करना संविधान का उल्लंघन
सरकारी नौकरी में चयन मेरिट के आधार पर हो : सुप्रीम कोर्ट, कहा- कम मेरिट वालों की नियुक्ति करना संविधान का उल्लंघन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि सरकारी नौकरियों में मेरिट के आधार पर ही चयन होना चाहिए। अधिक अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को नजरअंदाज कर कम मेरिट वालों लोगों का चयन करना संविधान का उल्लंघन है।
जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ ने यह टिप्पणी झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखते हुए दी है, जिसमें सब इंस्पेक्टर के पद पर 43 लोगों की नियुक्ति को सही ठहराया गया था। हाईकोर्ट ने अनियमितताओं को ठीक करने के बाद जारी संशोधित सूची में मेरिट के आधार पर हुई नियुक्तियों को सही माना था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह अपने फैसले में कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि सरकारी नौकरियां मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। अधिक अंक हासिल करने वालों की जगह कम मेरिट वाले लोगों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद-14 और 16 के विपरीत है। पीठ ने कहा, 43 याचिकाकर्ताओं को दी गई राहत का मुख्य आधार यह था कि वे पहले ही नियुक्त हो चुके थे और उन्हें उसके लिए सजा नहीं दी जा सकती, जो गलती उन्होंने नहीं की है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया।
यह था पूरा मामला : झारखंड में वर्ष 2008 में सब इंस्पेक्टर पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए थे। परीक्षा में 382 लोगों का चयन हुआ। लेकिन बाद में अनियमितता की शिकायत पर सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी बनाई। असफल लोगों ने रांची में झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस दौरान पहली सूची के तहत हुई 42 लोगों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया, जबकि पुलिस निदेशक की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के बाद तैयार की गई नई लिस्ट के आधार पर 43 लोगों की नियुक्ति हुई। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अनियमितता के लिए इन 43 अभ्यर्थियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
पेंशन मामला : केरल हाईकोर्ट के फैसले पर 'सुप्रीम' मोहर
नई दिल्ली : वेतनभोगियों को भविष्य निधि पेंशन कितनी मिलेगी, यह जानने के लिए उन्हें अभी इंतजार करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को वेतन के अनुपात में भविष्य निधि पेंशन देने के फैसले पर फिलहाल परोक्ष रूप से रोक लगा दी है। इससे पहले गत 31 जनवरी को कोर्ट ने वर्ष 2019 के अपने उस फैसले को वापस लेते हुए पुनर्विचार करने का फैसला लिया था जिसके तहत अधिकतम पेंशन योग्य वेतन प्रतिमाह 15 हजार रुपये की सीमा को खत्म कर अधिक पेंशन देने का रास्ता खुला था। वर्ष 2018 के केरल हाईकोर्ट के फैसले पर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई थी। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने बृहस्पतिवार को केरल, दिल्ली और राजस्थान हाईकोर्ट में केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के खिलाफ चल रही अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगा दी।
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